हम सब बड़े हो गए

ज़िन्दगी के ब्लैक बोर्ड पर अनगिनत पेँसिलोँ को

घिसते और रबर के बुरादे को झाड़ते हुए….
कितने सपने सजाते और मिटाते हम सब बड़े हो गए….

अंदाज़-ऐ-क़त्ल

वो ज़हर देकर मारता तो दुनियां की नज़रों में आ जाता,
अंदाज़-ऐ-क़त्ल तो देखो मुहब्बत कर के छोड़ दिया …