अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ मांगी, जीने की सज़ा पाई..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ मांगी, जीने की सज़ा पाई..
ये भी अच्छा है कि हम किसी को अच्छे नही लगते …
कम से कम
कोई रोएगा तो नही मेरे मरने पर ..
आखिर कब तक इन्तजार करूं मैं तुम्हारा ,
मैं आशिक हूँ ,धरने पर बैठा कोई सुनार नही |
दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने,
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं |
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता !!
तेरा बिछड़ना है हौसला मेरे लिए..
ताउम्र याद दिलाएगा कुछ कमी थी मुझमे |
कई बार मैंने
देखा है खुद को
तुम में
जिसे तुमने पुकारा नहीं
जिद्द में
वो मैं था
है ऐतबार जिसे
अब भी
मुझ में
वो इंतज़ार तुम हो..
न पूछा कर औरो से हाल मेरा..ए बेवफा ..
इतनी ही फ़िक्र होती तो ..तू साथ होती.. तेरी यादे नहीं…
इस क़दर बर्फ गिरी सदमो की,
जम गया सब्र मेरी आँखों में…
डूबी हैं मेरी उँगलियाँ मेरे ही खून में..
ये कांच के टुकड़ों पे भरोसे की सजा है..