फिर
कहाँ का हिसाब रहता है ,.,
इश्क़ जब बेहिसाब हो जाये ,.,!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फिर
कहाँ का हिसाब रहता है ,.,
इश्क़ जब बेहिसाब हो जाये ,.,!!
यही
बहुत है तूने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
अगर
तुम वजह ना पूछो तो एक बात कहूँ!!!
बिना याद किये तुम्हें अब
रहा नहीं जाता है
मुंसिफ़
हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा
क्यूँ नहीं देते
रोने में
इक ख़तरा है, तालाब नदी हो जाते हैं
हंसना भी आसान नहीं है, लब
ज़ख़्मी हो जाते हैं
मुफलिस
के बदन को भी है चादर की ज़रूरत,
अब खुल के मज़ारों पर ये
ऐलान किया जाए..
क़तील शिफ़ाई
मांग
लूँ यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले…..
फिर
वही गोद फिर वही माँ मिले….
फूल भी
दे जाते हैं ज़ख़्म गहरे कभी-कभी…
हर फूल पर यूँ ऐतबार ना कीजिये…
मुझे शायर बनना है दोस्तो,
क्या एक बेवफा से
इश्क कर लूँ
खुद
अपने
वजूद का
ख्याल खो
बैठोगें, अपने
बारे में जीयादा
ना सोचना
दोस्तों……..!