घर से निकले थे

घर से निकले थे हौसला करके लौट आए ख़ुदा-ख़ुदा करके ज़िंदगी तो कभी नहीं आई मौत आई ज़रा-ज़रा करके…!!

इस शहर के

इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों !
गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो !!

कोई ये कैसे बताये

कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं
वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों हैं
यही होता है तो आखिर यही होता क्यों हैं |