अब ना रही

मुझमे मासूमियत अब ना रही जनाब…
मैने बचपन के ख्वाब बड़े होकर टुटते देखे है|

लिख दू कुछ

लिख दू कुछ ऐसा या कुछ ऐसा काम मैं कर जाउ,
फूट-फूट कर रोऐ दुनिया जिस दिन मैं मर जाउ|

तेरे एहसासों की

तेरे एहसासों की धूप में सुखा लिए मैंने गीले गेशू अपने ,
पर तुम न संजो पाए मेरे हसीन ख्वाबों को आंखों में अपने !!