हमें तो कब से

हमें तो कब से पता था के तू बेवफा है

ऐ बेखबर

तुझे चाहा ही इस लिए की शायद तेरी फितरत बदल जाये…!!

दो कदम चलकर

दो कदम चलकर अक्सर हम रुक जाया करते है ,
क्यों इंतजार रहता है उनका,
जो राह में छोड़कर चले जाया करते है|