कुछ इस तरह

कुछ इस तरह लिपटा पड़ा है; तेरा साया मुझसे,
सवेरा है फ़िर भी,,मैं अब तक; रात के आग़ोश में गुम हूँ.|

अमीर तो हम भी थे

अमीर तो हम भी थे दोस्तों,
बस दौलत सिर्फ दिल की थी…

खर्च तो बहुत किया,
पर गिनती सिर्फ सिक्खों की हुई…….