जब कभी भी

जब कभी भी ख़वाब में सहरा नज़र आया मुझे।

तिश्नगी का इक नया चेहरा नज़र आया मुझे।।

परिंदों को तो

परिंदों को तो खैर रोज कहीं से, गिरे हुए दाने जुटाने हैं
पर वो क्यों परेशान हैं, जिनके भरे हुए तहखाने हैं|

अक्सर ज़माना छोङ देता है

मुसीबत में तो साथ अक्सर ज़माना छोङ देता है,
जो अपना है वो पहले आना जाना छोङ देता है।
हमारी दास्ताने जिन्दगी इक बार जो सुन ले,
तो फिर वो जिन्दगी भर मुस्कराना छोङ देता है।