जवाब तो बहुत हैं

चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत हैं मेरे पास…
लेकिन खत्म हुए “किस्सों” की खामोशी ही बेहतर है…

हम तो नादाँ है

हम तो नादाँ है, क्या समझेगें
उसूल – ए – मोहब्बत,
बस उसे चाहना था उसे चाहते हैं
और
उसे ही चाहेंगे !