एक निगाह का हक़

हर नज़र को एक निगाह का हक़ है,
हर नूर को एक आह का हक़ है,
हम भी दिल लेकर आये है इस दुनिया में,
हमे भी तो एक गुनाह करने का हक़ है

नाम आता है..!

यह महवीयत का आलम है, किसी से भी मुखातिब हूँ..
जुबाँ पर बेतहाशा आप ही का नाम आता है..!