वो जो तुमने

वो जो तुमने

एक दवा बतलाई थी ग़म के लिए,
ग़म तो ज्यो का त्यो रहा बस हम

शराबी हो गये…..

वो लोग जो

वो लोग जो औरों की ज़िंदगी के मसीहा हैं ,
हर रात टूटते हैं बेतरतीब ,
बिना शोर किये !

बढ़े चलो!

 
‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त

पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’

असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण

दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य

सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े

चलो!