कर्म देखता है

तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है,
जो भी कमाया यही रह जाना है !
कर ले कुछ अच्छे कर्म,
साथ यही तेरे जाना है !
रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं, लेकिन मुस्कुराने से…
पराये भी अपने हो जाते हैं !
मुझे वो रिश्ते पसंद है,
जिनमें ” मैं ” नहीं ” हम ” हो !!
इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नही,
उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत नही..

जुबान के सच्चे

रिश्तो के बजार में आजकल..
वो लोग हमेशा अकेले पाये जाते हैं,
सहाब जो दिल और जुबान के सच्चे होते हैं.

जिंदगी में आज भी

कुछ करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनियां से हटकर चल,

लीक पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल,

बिना काम के मुकाम कैसा ? बिना मेहनत के, दाम कैसा ?

जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
तो राह में, राही आराम कैसा ?

अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
ना कोई बहाना रख !
लक्ष्य सामने है, बस उसी पे अपना ठिकाना रख !!

सोच मत, साकार कर,
अपने कर्मो से प्यार कर !

मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी ओर का ना इंतज़ार कर !!

जो चले थे अकेले उनके पीछे आज मेले है
जो करते रहे इंतज़ार उनकी
जिंदगी में आज भी झमेले है

तुम भी बिखर जाओगे

तुम भी चाहत के समन्दर में उतर जाओगे,
खुशनुमा से किसी मंजर पे ठहर जाओगे ।
मैने यादों में तुम्हें इस तरह पिरोया है,
मै जो टूटी तो सनम तुम भी बिखर जाओगे ॥

तुम ही हो

लिख दूं तो लफ्ज़ तुम हो
सोच लूं तो ख़याल तुम हो
मांग लूं तो मन्नत तुम हो
चाह लूं तो मुहब्बत भी तुम ही हो..

तुझसे अच्छा तो

तुम क्या जानो लाजवाब कर देतें हैं…तेरे
खयाल…दिल को,
मोहब्बत…तुझसे अच्छा तो ..तेरा
तसव्वुर हैं..!!