इश्क वो खेल नहीं

इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेलें, रूह तक काँप जाती है, सदमे सहते-सहते.
जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले,इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं !!

रोते रहे तुम भी

रोते रहे तुम भी, रोते रहे हम भी;
कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी;
ना जाने इस ज़माने को हमारे इश्क़ से क्या नाराज़गी थी;
बस समझाते रहे तुम भी और समझाते रहे हम भी।

इंतज़ार रहता है

इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा,
यादें काटती हैं ले-ले के नाम तेरा,
मुद्दत से बैठे हैं तेरे इंतज़ार में,
कि आज आयेगा कोई पैगाम तेरा….