अपने साथ मेरी नींद भी ले गए,
फिर ये साँसों पर मेहरबानी क्यों…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अपने साथ मेरी नींद भी ले गए,
फिर ये साँसों पर मेहरबानी क्यों…
मोहब्बत रूह में उतरा हुआ मौसम है …..
ताल्लुक कम करने से मोहब्बत कम नहीं होती….
इंसान ना कुछ हंसकर सीखता है
ना कुछ रोकर सीखता है
जब भी कुछ अलग सीखता है तो,
या तो किसी का होकर सीखता है…
या फिर किसी को खोकर सीखता है…!!!
तुम हर तरह से मेरे लिए ख़ास हो,शुक्रिया वो बनने के लिए जो तुम हो…
आख़िरी उम्र में कैसे मैं ग़मों को छोडूँ..
यह मेरे साथ रहें हैं सगे भाई की तरह !
सफलता हमेशा अच्छे विचारों से आती हैं
और अच्छे विचार अच्छे लोगों के सम्पर्क से आते हैं
मुझे गर्व है कि
मैं आपके सम्पर्क में हूँ….
इश्क़ बुझ चुका है,
क्यूंकि हम ज़ल चुके हैं|
आपने नज़र से नज़र कब मिला दी,
हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी,
जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके,
पर निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी.
गंदगी नज़रों में होती है
वरना कचरा बीनने वालों को तो कचरे में भी रोटी दिखती है..
तू छोड़ रहा है तो इसमें तेरी ख़ता क्या हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता !!