वो कहते रहे झूठ,
मै करता
रहा यकीन।
इतना यकीन किया,
यकीन नही होता।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो कहते रहे झूठ,
मै करता
रहा यकीन।
इतना यकीन किया,
यकीन नही होता।
मैं जलता हूँ उन बातों से
भी,
वो बातें..
जो मैं खुद भी नही जानता।
हर रात उधेड़ देती हैं उन शामो को,
जो उन दिनों
मेरी सुबह लेके आई थी।
Mante hain raste pe mile the hum,,
To bs kya hume raste pe la doge.
कहीं भी यूँ एकटक देखते रहना,,
हर आदत तेरी दी हुई लगती हैं।।
इक लफ्ज़ था मैं आधा अधूरा सा,
रहबर से जुड़ा और कहानी बन गया !
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी …!!
पर चुप इसलिये हु कि, जो
दिया तूने,वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता …!!
इतना संस्कारिक कलयुग आ गया है कि
लड़की कि विदाई के वक्त..
माँ बाप से ज्यादा तो मोहल्ले के लड़के रो देते है
तेरी जगह आज भी कोई नही ले सकता
खूबी तूजमे नही कमी मुझमें है
हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं।
तोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं।