कौन कहता है

कौन कहता है दुनिया में
हमशक्ल नहीं होते
देख कितना मिलता है
तेरा “दिल” मेरे “दिल’ से.!

वो फूल हूँ

वो फूल हूँ जो अपने चमन में न रहा,
वो लफ्ज़ हूँ जो शेरों सुख़न में न रहा,
कल पलकों पे बिठाया, नज़र से गिराया आज,
जैसे वो नोट हूँ जो चलन में न रहा।

जिन्दगी ने दिया सब

जिन्दगी ने दिया सब कुछ पर वफा ना दी
जख्म दिये सब ने पर किसी ने दवा ना दी
हमने तो सब को अपना माना
पर किसी ने हमे अपनो में जगह ना दी |

आज तेरी याद

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये .. तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर

रोये कई बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|