बदन के घाव

बदन के घाव दिखाकर जो अपना पेट भरता है,
सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है।

मत पूछो कि

मत पूछो कि मै यह अल्फाज कहाँ से लाता हूँ,
उसकी यादों का खजाना है, लुटाऐ जा रहा हूँ मैं ।

कहीं किसी रोज यूँ

कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…