सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से,
महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से,
महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो|
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना…
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता।
चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई,
क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है…
तेरा वजूद है कायम मेरे दिल में उस इक बूँद की तरह,
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जो गिर कर सीप में
इक दिन मोती बन गयी…..
दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते!
गम के आंसू न बहते तो और क्या करते!
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उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ!
हम खुद को न जलाते तो और क्या करते!
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत है, और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते|
हमारी मोहब्बत करने की अदा कुछ और ही है ,
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हम याद करते है
उसको जिसने हमें दिल से निकाल रखा है…!!
उसने पुछा जिंदगी किसने बरबाद की हैं
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हमने उंगली उठाई और अपने ही दिल पे रख दी..!!
कैसे बदल दूं मैं फितरत ये अपनी ,
मुझे तुम्हें सोचते रहने की आदत सी हो गई है..!!
डाल से टूट कर मिट्टी में मिल जाऊँगा…
इश्क़ का फूल हूँ महकूँगा मर जाऊँगा|