गले मिलने को

गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं,
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं…

हर रात कुछ

हर रात कुछ खवाब अधूरे रह जाते हैं…
किसी तकिये के नीचे दबकर अगली रात के लिये….