रोज़ करता हूँ

रोज़ करता हूँ इरादा ऐ मेरे मौला तुझको भूल जाने का,
रोज़ थोड़ा-थोड़ा खुद को भूलने लगा हूँ अब।

आज तो हम

आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें,
सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!

छा जाती है

छा जाती है खामोशी अगर गुनाह अपने हों..!!
बात दूसरे की हो तो शोर बहुत होता है….!!