बस ये कहकर

बस ये कहकर टाँके लगा दिये उस हकीम ने कि,

जो अंदर बिखरा है उसे खुदा भी नहीं समेट सकता….

कल रात मैंने

कल रात मैंने अपने सारे ग़म,
कमरे की दीवार पर लिख डाले,
बस फिर हम सोते रहे और दीवारे रोती रही…

कुछ इस तरह

कुछ इस तरह से
मेरी वो फिकर करता है

अनजान बनकर ही सही
पर मेरा जिकर करता है|