कहीं एक मासूम

कहीं एक मासूम सा अरमान टूटा होगा
फिर मिट्टी का कच्चा मकान टूटा होगा

अमीरों के लिए बेशक तमाशा हो जलजला
गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा

उलझे हुए है

उलझे हुए है आजकल अपनी उलझनों में… तुम ये ना समझना कि
तुम्हें चाहा था
बस दो दिन के लिए

यारी का मोल

तुम मुझसे यारी का मोल ना पूछना कभी,
तुमसे ये किसने कह दिया की पेड़ अपनी छाँव बेचते है…

दुसरों की अपेक्षा

दुसरों की अपेक्षा अगर आपको सफलता,
यदि देर से मिले तो निराश नही होना चाहिये क्योँकि
मक़ान बनने से ज्यादा समय महल बनने मेँ लगता
है||

दीपक बोलता नहीं

दीपक बोलता नहीं उसका
प्रकाश परिचय देता है ।
ठीक उसी प्रकार…
आप अपने बारे में कुछ न बोले,
अच्छे कर्म करते रहे
वही आपका परिचय देगे