कहीं एक मासूम सा अरमान टूटा होगा
फिर मिट्टी का कच्चा मकान टूटा होगा
अमीरों के लिए बेशक तमाशा हो जलजला
गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कहीं एक मासूम सा अरमान टूटा होगा
फिर मिट्टी का कच्चा मकान टूटा होगा
अमीरों के लिए बेशक तमाशा हो जलजला
गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा
उलझे हुए है आजकल अपनी उलझनों में… तुम ये ना समझना कि
तुम्हें चाहा था
बस दो दिन के लिए
कुछ अलग करना है तो जरा भीड़ से हटकर चलो..
भीड़ साहस तो देती है, लेकिन पहचान छीन लेती है….
तुम मुझसे यारी का मोल ना पूछना कभी,
तुमसे ये किसने कह दिया की पेड़ अपनी छाँव बेचते है…
दुसरों की अपेक्षा अगर आपको सफलता,
यदि देर से मिले तो निराश नही होना चाहिये क्योँकि
मक़ान बनने से ज्यादा समय महल बनने मेँ लगता
है||
तू होगा ज़रा पागल सा
तूने मुझको है चुना…
हमसे जो करोगे रुसवाई
तो यूँ ही भूकम्प आएगा रे बेवफा हरजाई…
अजब सा तिलिस्म कर गया भूकम्प तेरा आना,
नफ़रत भरे लोग हाथ थामे सड़कों पे नज़र आये !
दीपक बोलता नहीं उसका
प्रकाश परिचय देता है ।
ठीक उसी प्रकार…
आप अपने बारे में कुछ न बोले,
अच्छे कर्म करते रहे
वही आपका परिचय देगे
मुझसे नफरत करनी हैं हो बेशककर पर..
कमबख्त उतनी तो कर जितनी मैंने मौहब्बत की थी…