मुस्कुराते पलको पे

मुस्कुराते पलको पे सनम चले आते हैं,
आप क्या जानो कहाँ से हमारे गम आते हैं,
आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं, जहाँ किसी ने कहा था,
कि ठहरो हम अभी आते हैं..

कुछ नहीं है

कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में,
कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!!

गजल गुनगुनाया करेगी

जब उसको मेरी याद आया करेगी
तब वो मेरी गजल गुनगुनाया करेगी
उठकर देखेगी कभी तस्वीर मेरी
फिर उसे सिने से लगाया करेगी
जब भी नजर आएगी मेरी निसानिया
उनको दामन मैं छुपाया करेगी
बीते दिनों की बीती कहानी
छुप छुप के गेरों को बताया करेगी
रखा है जो उसने अंधरे मैं “प्रकाश”
भूल पर अपनी पछताया करेगी …

तुमनें हमें अपनों से

तुमनें हमें अपनों से बहुत दूर कर दिया !
चाहत नें तेरी लड़नें को मजबूर कर दिया !!
आयी न हाँथ फिर भी तू बस नाचती रही !
कितनों को तुमनें आज बेसहूर कर दिया !!