अनजाने में यूँ ही

अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे,
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे,
उनसे क्या गिला करें.. भूल तो हमारी थी
जो बिना दिलवालों से ही दिल लगा बैठे।

आँखों में तेरी डूब जाने को

आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है!
इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है!
कोई संभाले मुझे, बहक रहे है मेरे कदम!
वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है!

जख्म तो हम भी

जख्म तो हम भी अपने दिल में बहुत गहरे रखते हैं
मगर हम जख्मों पे मुस्कुराहटों के पहरे रखते हैं..!!

ये हर सुबह

ये हर सुबह इश्क के जलसे
ये हर रात जुदाई के जुलुस …
ये बेरोजगार शायर बनना
तुम्हारे नौकरी जितना आसान थोड़े है ।

बड़ी तबियत से

बड़ी तबियत से पूछा उसने
कि कौन हूँ मैं.
हमने भी जवाब दिया
हर लफ्ज़ को तुझसे जोड़कर शायरी कर लूँ वो वजह हो तुम।