लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं;
लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं;
बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं;
हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं;
लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं;
बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं;
हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।
दिल के टुकड़े टुकड़े करके,
मुस्कुरा के चल दिये॥
पूछा हाल शहर का तो सर झुका के बोलें,,,,
लोग तो जिंदा हैं जमीरों का पता नहीं.!!
हमारी नियत का पता तुम क्या लगाओगे गालिब….
हम तो नर्सरी में थे तब भी मैडम अपना पल्लू सही रखती थी….
कुछ हार गयी तकदिर, कुछ टूट गये सपने,
कुछ गैरो ने बरबाद किया, कुछ छोड़ गये अपने…!!
Fakat ek khwaab ko haqeeqat bnaane ki zidd me. . . . . . .
Neendon se dushmani ek umr nibhaai hai maine..
जो बेसब्र ना हो,
तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..
सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की..!
ज़िन्दगी, जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम हो जैसे..!!
सुनो.. इस दूनिया मेँ हर वो एक शख्स अकेला हैँ
जिसने सच्चे दिल से मोहब्बत की हैँ…!!
सुब्ह सवेरे कौन सी सूरत फुलवारी में आई है
डाली डाली झूम उठी है कली कली लहराई है ।