मंजर भी बेनूर थे और फिजायें भी बेरंग थी ,
बस तुम याद आए और मौसम सुहाना हो गया..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मंजर भी बेनूर थे और फिजायें भी बेरंग थी ,
बस तुम याद आए और मौसम सुहाना हो गया..
मिलने लगे है रोज वो हमसे अजनबी बनकर ..
लगता है फिर से मोहब्बत का शौक चढा है…!!.
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
मन्जिले मुझे छोड़ गयी रास्तों ने सभाल लिया है..!!
जा जिन्दगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया है.
कुछ तो जीते हैं जन्नत की तमन्ना लेकर कुछ तमन्नायें जीना सिखा देती है
हम किसके सहारे जीये ज़िन्दगी रोज एक तमन्ना बढा देती है।
Dil bada rkhe
duniya to waise bhi
bahut chhoti hai……
उसने मेरे हाथ की लकीरें देखी और फिर हँस कर कहा….
तुझे ज़िन्दगी में सब कुछ मिलेगा एक मेरे सिवा….
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा,
जितना मैने सिर्फ सोचा है……
Koi muskurakar rakh gaya
meri kabr’a par mohabbat ka phool;
aaj ishq ki aankhon mein
khumaar utar aaya hai
Tu wo zaalim hai
jo dil mein rehkar bhi
mera na ban saka
aur dil wo kaafir,
jo mujhme rehkar bhi
tera ho gaya