किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे,
जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे,
जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!
निभाते नही है..लोग आजकल..!
वरना..इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..
जो आने वाले हैं मौसम, उन्हें शुमार में रख…
जो दिन गुज़र गए, उन को गिना नहीं करते…
एक अरसा गुजर गया तुम बिन फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से |
हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह,
हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..
तेरे शहर में आने को हर कोई तरसता है
लेकिन वो क्या जाने
वहां कोई नही पहुँचता है
जो पहुँचता है
वो तुझसा ही होकर
कोई खुद सा वहां कब पहुँचता है
ये तो कुछ शब्दों का भ्रम जाल है इन मंदिर में रखी किताबो का
जो हर कोई तुझसे मिलने को तरसता है
खुल जाए अगर भ्रम काबा-ए-काशी
तो कौन फिर जान कर सूली पे चढ़ता है
वो जो शराब है तेरी
जिसे कहते मोहब्बत
पीने के बाद ही पतंगा
शमा पे मरता है
यूँ ही कोई क़ैस कहा लैला पे मरता है
जान कर
कोई कहाँ
सूली पे चढ़ता है ….
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।
आजकल के हर आशिक की अब तो यही कहानी है, मजनू चाहता है लैला को, लैला किसी और की दीवानी है..
दर्द लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है,
और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..
एक ही बात सच है दुनिया में…आप किसी को हमेशा खुश नहीं रख सकते|