बेनाम सा रिश्ता

बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है
फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है
पलके आंखे, दिया और बाती
ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!

बस यही सोच कर

बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…!

धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…।।