दोहरी हुकूमत जताना कोई तुमसे सीखे,
खुद तो बात करेंगे नहीं…….
उस पर मेरा रूठना भी बर्दाश्त नहीं ।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दोहरी हुकूमत जताना कोई तुमसे सीखे,
खुद तो बात करेंगे नहीं…….
उस पर मेरा रूठना भी बर्दाश्त नहीं ।।
कहाँ मांग ली थी कायनात जो इतनी मुश्किल हुई ए-खुदा,
सिसकते हुए शब्दों में बस एक शख्स ही तो मांगा था…!!!
फासला नज़रों का धोखा भी हो सकता है।
वो मिले ना मिले तुम हाथ बढ़ा कर देखो |
मौत का आलम देख कर तो ज़मीन भी दो गज़ जगह दे देती है…
फिर यह इंसान क्या चीज़ है जो ज़िन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता…
जिंदगी की किताब के कुछ पन्ने होते है,
कुछ अपने, कुछ बेगाने होते है,
प्यार से सँवर जाती है ज़िंदगी,
बस प्यार से रिश्ते निभाने होते है|
बड़े अजीब हैं ये जिन्दगी के रास्ते,
अनजाने मोड़ पर कुछ लोग
दोस्त बन जाते हैं.
मिलने की खुशी दें या न दें,
बिछड़ने का गम जरुर दे जाते हैं…!!
फिर उसकी याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है|
किसने चलाया ये तोहफ़े लेने-देने का रिवाज..गरीब आदमी मिलने-जुलने से भी डरता है..!
एहसान ये रहा मुझ पर तोह़मत लगाने वालों का
उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया!!
क्यों बताये किसी को हाले दिल अपना,
जो तूने बनाया वही हाल है अपना ।।