बिन बात के ही

बिन बात के ही रूठने की आदत है,

किसी अपने का साथ पाने की चाहत है. . .

आप खुश रहें, मेरा क्या है,

मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है. . .

वो जब अपने हाथों की

वो जब अपने हाथों की लकीरों में मेरा नाम ढूँढ कर थक गये
सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ़ मेरे हों……….