क्यूँ बदलते हो

क्यूँ बदलते हो अपनी फितरत को ए मौसम,
इन्सानों सी।

तुम तो रहते हो रब के पास
फिर कैसे हवा लगी जमाने की।।।

वाह रे खुदा

वाह रे खुदा तेरे बनाये बंदो

की फितरत पर रोना आया

मुझे तो खिलौनो से खेलने का शौंक था,
उसने मुझे ही खिलौना

बनाया……….

टूटे हुए प्याले में

टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता
इश्क़ में मरीज

को आराम नहीं आता
ऐ मालिक बारिश करने से पहले ये सोच तो

लिया होता
के भीगा हुआ गेहू किसी काम नहीं
आता