फिर यूँ हुआ कि सब्र की
उँगली पकड़कर हम..
इतना चले कि रास्ते
हैरान हो गए..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फिर यूँ हुआ कि सब्र की
उँगली पकड़कर हम..
इतना चले कि रास्ते
हैरान हो गए..
इक मोहब्बत ही है
जिसे हार जीत से ,
परे रखोगे
तो जीत जाओगे ।
इतने तो लम्हे भी नही बिताये मेने तेरे संग..
जितनी रातो की निंद ले गये हो तुम छिन के..
इक सदा जो बे-लफ्ज़ है…
सुन सको तो सुनो ।
क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के……
कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के |
वो कहता है की बता तेरा दर्द कैसे समझू,
मैंने कहा की इश्क़ कर और कर के हार जा !!
क्या क्या हो रहा है दुनिया में..!!!
ख़ुदा करे कोई न समझे..!!!
शहर लौटने की फ़िक्र
अब मेरे चेहरे पे जारी है..
चंद पैसों की नौकरी
माँ की ममता पे भारी है…
चल तलाशते है..
कोई तरीका ऐसा…
मंद हवा भी बहे…
और
चिराग भी जले…
झुके थे तेरे आगे..
बिके नहीं थे..
जो इतना गुमान कर गयी..