लाजमी नही है की हर किसी को
मौत ही छूकर निकले
किसी किसी को छूकर
जिंदगी भी निकल जाती है !!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लाजमी नही है की हर किसी को
मौत ही छूकर निकले
किसी किसी को छूकर
जिंदगी भी निकल जाती है !!!!
कोई बदल दो वफ़ा के सिक्के मेरे..
सुना है इस दौर में ये सब नही चलते ।।
चंद लफ़्ज़ों की तक्कल्लुफ़
में ये इश्क़ रुक गया….
वो इंतज़ार पे रुके रहे और
मैं इक़रार पे रुक गया ।।
हर एक लकीर एक तज़ुर्बा है जनाब .. ..
झुर्रियाँ चेहरों पर यूँ ही आया नहीं करती !!
कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन…
के सिर्फ दो उंगलिया जुडने से
दोस्ती फिर शुरू हो जाती थी|
अब अपने शख्सियत की भला
मैं क्या मिसाल दूँ यारों,
न जाने कितने लोग मशहूर हो गये
मुझे बदनाम करते करते !
कहां तलाश करोगे तुम दिल हमारे जैसा,
जो तुम्हारी बेरूखी भी सहे ओर प्यार भी करे !
भूलना सीखिए जनाब…..।
एक दिन दुनिया भी वही….
करने वालीहै.!!
धड़कनों ने बताया
मोहब्बत आज भी उसी से है|
चलो सब एक नयी शुरुआत करते हैं।
बड़े होते हुए भी बच्चों सी बात करते हैं।।