अपनी उल्झन में ही

अपनी उल्झन में ही अपनी…
मुश्किलों के हल मिले,

जैसे टेढ़ी मेढ़ी शाखों पर भी..
रसीले फल मिले,

उसके खारेपन में भी कोई तो..
कशिश होगी ज़रूर….

वरना क्यूँ सागर से यूँ…
जा जा के गंगाजल मिले..

ज़िंदगी क्या है

ज़िंदगी क्या है जानने के लिये
ज़िंदा रहना बहुत जरुरी है
आज तक कोई भी रहा तो नही

सारी वादी उदास बैठी है
मौसमे गुल ने खुदकशी कर ली
किसने बरुद बोया बागो मे

आओ हम सब पहन ले आइने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा
सारे हसीन लगेंगे यहाँ

है नही जो दिखाई देता है
आइने पर छपा हुआ चेहरा
तर्जुमा आइने का ठीक नही

हम को गलिब ने येह दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फकत दिनो मे गया

लब तेरे मीर ने भी देखे है
पखुड़ी एक गुलाब की सी है
बात सुनते तो गलिब रो जाते

ऐसे बिखरे है रात दिन जैसे
मोतियो वाला हार टूट गया
तुमने मुझको पिरो के रखा था

ज़रा बता दो

ज़रा बता दो हमें की वो पत्थर कहा मिलेगा…
जिसे दिल पे रख कर लोग आसानी से भूल जाते है..!!

उसने हाथो से

उसने हाथो से छू कर दरिया के पानी को गुलाबी कर दिया,

हमारी बात तो और थी उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया….