तारीफ़ करें खुदा

औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में।
खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में।
और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में।
गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।

जिन्दगी की जेब

बार बार रफू करता रहता हूँ
जिन्दगी की जेब…

कम्बखत फिर भी निकल जाते हैं
खुशियों के कुछ लम्हें…

ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही
ख़्वाहिशों का है…..

ना तो किसी को गम चाहिए और,
ना ही किसी को कम चाहिए….!!!

मांगो तो अपने रब

मांगो तो अपने रब से मांगो ,

जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत ,

लेकिन दुनिया से हरगिज मत मांगना ,

क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी ..

एक नफरत ही हैं

एक नफरत ही हैं जिसे,
दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं.

वरना चाहत का यकीन दिलाने में,
तो जिन्दगी बीत जाती हैं..

माला की तारीफ़ तो

माला की तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं..

काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.