मेरी खूबी पर

मेरी खूबी पर रहती है मेरे अपनों की जुबां खामोश..

चर्चा मेरे ऐबों पर हो तो गूँगे भी बोल पङते हैं…

मेरी नज़र में

मेरी नज़र में तो सिर्फ तुम हो, कुछ और मुझको पता नहीं है

तुम्हारी महेफिल से उठ रहा हूँ, मगर कहीं रास्ता नहीं है|