ऐ ज़िन्दगी तू अपनी रफ़्तार पे ना इतरा,
जो रोक ली मैंने अपनी साँसें तो तू भी चल
ना पायेगी…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऐ ज़िन्दगी तू अपनी रफ़्तार पे ना इतरा,
जो रोक ली मैंने अपनी साँसें तो तू भी चल
ना पायेगी…
इश्क तीली सा बस सुलगाता है
इंसा चिरागों सा जलता रहता है|
मुद्दतों बाद आज फिर परेशान हुआ है दिल…!!
जाने किस हाल में होगा मुझसे रूठने वाला…!!
तुम हिदायत से
अदावत से
शिकायत से सही
कम से कम
हमसे
ताल्लुक़ात रखे रहते हो !
मज़हब पता चला, जो मुसाफ़िर की लाश का
चुपचाप आधी भीड़ अपने घरों को चली गई|
बस अपनी अपनी अना में ग़ुम…
कभी मैं जुदा कभी वो जुदा…
वही रास्ते वही मंजिले…
ना मुझे ख़बर ना उसे पता…
चाहतों के मोड़ पे…
कभी वो रुकी कभी मैं रुका…
परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता…