क़त्ल तो मेरा

क़त्ल तो मेरा उसकी निगाहों ने ही किया था,
पर संविधान ने उन्हें हथियार मानने से इंकार कर दिया !!

आँख की छत पे

आँख की छत पे टहलते रहे काले साए
कोई पलकों में उजाले नहीं भरने आया
कितनी दीवाली गईं, कितने दशहरे बीते
इन मुंडेरों पे कोई दीप ना धरने आया|

फिर उसी की तमन्ना

फिर उसी की तमन्ना,
ऐ दिल,तुझे इज़्ज़त रास नहीं…??
मुझ से हर बार नज़रें चुरा लेती है वो,
मैंने कागज़ पर भी बना के देखी है आँखे उसकी !!

तन की खूबसूरती

तन की खूबसूरती एक भ्रम है।
सबसे खूबसूरत आपकी “वाणी” है।
चाहे तो दिल “जीत” ले।
चाहे तो दिल “चीर” दे

इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता है..!
लेकिन किस्मत और नसीब नही..

वास्ता नही रखना

वास्ता नही रखना तो फिर …

मुझ पे नजर क्यूं रखते हो …

मैं किस हाल में जिंदा हूँ …

तुम ये खबर क्यूं रखते हो …