फोड़ देती है

फोड़ देती है अपना

गुल्लक भी भाई की खुशियों के लिये

भगवान के अलावा बहनें भी मनोकामना पूर्ण करती है

ऐ उम्र कुछ

ऐ उम्र कुछ कहा मैंने,

शायद तूने सुना नहीं….
तू छीन सकती है बचपन मेरा , बचपना नहीं…

अभी तो तड़प

अभी तो तड़प-तड़प के

दिन के उजालों से निकला हू…
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न जाने रात के अँधेरे और कितना रुलायेंगे.