आँख प्यासी है

आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे,
इस जज़ीरे को भी समन्दर दे|

अपना चेहरा तलाश करना है,
गर नहीं आइना तो पत्थर दे|

कुछ अलग ही

कुछ अलग ही करना है तो वफा करो दोस्त,

वरना मजबूरी का नाम ले कर बेवफाई तो सभी करते है !

जो दुआ न करे

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे..
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे।।

रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर..
ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे।।

छोड़ ही दें तो अच्छा

हवाएँ ज़हरीली करने वाले,ये ज़मीं छोड़ ही दें तो अच्छा….

मेरी नेकनीयती पर करना यकीं छोड़ ही दें तो अच्छा….

उनकी कुलबुलाहट से अब मैं भी नहीं इतना “ग़ाफ़िल”..

अब कुछ साँप मेरी आस्तीं छोड़ ही दें तो अच्छा….