पहचान की नुमाईश
जरा कम करो यारों जहाँ
भी “मैं” लिखा है
उसे “हम” करो यारों…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पहचान की नुमाईश
जरा कम करो यारों जहाँ
भी “मैं” लिखा है
उसे “हम” करो यारों…..
तुम आते थे
बहार आती थी
एक एक लम्हा
महका जाती थी
अब तुम जो नही हो
तुम्हारी यादें आती हैं
दिल के ज़ख़्मों को
कुरेद जाती हैं|
ठंडी रोटी अक्सर उनके ही नसीब में होती है
जो अपनों के लिए कमाई करके देर से घर लौटते हैं..
वहाँ तूफान भी हार जाते है…
जहाँ कश्तियाँ ज़िद पे होती हैँ…
ये उड़ती ज़ुल्फें,ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ,तो दूसरी होश उड़ा देती है..!!
नज़दीक ही रहता है वो पर मिलने नही आता..
पुछो तो मुस्करा के कहता है..
तुम से तो मुहोब्बत है..
तुम से क्या मिलना..
पैरों में तजुर्बों के निशानात पड़ गए…
वो ठोकरें लगी हैं के पत्थर उखड़ गए…
लोग अब समझदार हो गए है….
हैसियत देख कर साथ निभाते है।
मुद्दतों बात किसीने पूछा कहा रहते हो
हमने मुस्कुरा के कहा अपनी औकात में |
ना चाहते हुए भी साथ छोड़ना पड़ता हे,
” जिंदगी में कुछ मजबूरिया ”
” मोहब्बत ” से ज्यादा ताकतवर होती हे !!