आज तेरे दिल से

हम जैसे बर्बाद दिलों का क्या जीना और क्या
‘मरना’..
आज तेरे दिल से निकले है;
कल इस दुनिया से निकल जायेंगे..!

वो किसी का

एहसान वो किसी का लेते नहीं, मेरा भी चुका दिया,
जितना भी खाया था नमक, मेरे ज़ख्मो पे लगा दिया…!!

कोई नष्ट नहीं कर सकता

लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता,
बस उसका जंग उसे नष्ट करता है।
इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी नकारात्मक सोच ही नष्ट करती है।

किसी और से

तुम किसी और से मालूम तो करके देखो,..
हम किसी ओर के कितने है और तुम्हारे कितने!!!

दिन जो गुज़रे

वो दिन जो गुज़रे तेरे साथ..
काश ज़िन्दगी उतनी ही होती.!!
मुझें छोड़कर वो खुश हैं …तो शिकायत
कैसी,
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत
कैसी ?