इस शहर के

इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों !
गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो !!

हो सकता है

हो सकता है की मैं तेरी खुशियाँ बाँटने ना आ सकू,
गम आये तो खबर कर देना वादा है की सारे ले जाऊँगा…

नहीं ज़रूरत मुझे

नहीं ज़रूरत मुझे तुम्हारी अब,
ख्यालात तुम्हारे काफ़ी है…..
तुम क्या जानो इस मस्ती को,
अहसास तुम्हारे काफ़ी है……