न कोई फिकर

न कोई फिकर, न कोई चाह
हम तो बड़े बेपरवाह है
उम्र फकीराना गुजरी है
हम तो ऐसे शहंसाह है|

अपनी चाहत के

अपनी चाहत के नाम कर लेना,
कोई उँचा मकाम कर लेना,
अगर किसी मोड़ पर मिलो मुझसे,
एक प्यारा सलाम कर लेना…

लेकर आना उसे

लेकर आना उसे मेरे जनाजे में,
एक आखरी हसीन मुलाकात होगी..!

मेरे जिस्म में जान न हो मगर,
मेरी जान तो मेरे जिस्म के पास होगी..!!