ये आशकी तुझसे शुरू

ये आशकी तुझसे शुरू तुझपे खत्म ये शायरी तूझसै शुरू

तूझपै खत्म तैरै लीए ही सासैं मिली है तेरे

लीए ही लीया है जन्म यै

जिदंगी तुझसै शूरू तुझपै खत्म |

इंतज़ार की आरज़ू

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है..!