निर्धन दिल का है

निर्धन दिल का है धनी, और धनी है दीन।
निर्धन दिल से साफ़ है, और धनी है हीन।।

कोई किसका दास है, कोई किसका दास।
मन फ़क़ीरी खिल्ल उठे, होवे कभी उदास।।

देह काम करता नहीं, बुद्धि न देती साथ।
जब भी मुँह खोलूँ सदा, निकले उलटी बात।।

आग लगाना मेरी

आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं..,
पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये…
उस में मेरा क्या क़सूर…!

जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,

बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!

मुझे इंसान को

मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..

वो फूल हूँ

वो फूल हूँ जो अपने चमन में न रहा,
वो लफ्ज़ हूँ जो शेरों सुख़न में न रहा,
कल पलकों पे बिठाया, नज़र से गिराया आज,
जैसे वो नोट हूँ जो चलन में न रहा।