इक चेहरा पड़ा मिला मुझे, रास्ते पर,
जरूर किरदार बदलते वक्त गिरा होगा
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इक चेहरा पड़ा मिला मुझे, रास्ते पर,
जरूर किरदार बदलते वक्त गिरा होगा
वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब,
जहाँ इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जाये ।
चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई,
क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है…
चलो कुछ बात करते हैं,
बिन बोले बिन सुने
एक तन्हा मुलाक़ात करते हैं|
चाहकर भी
मेरे लब पर ये
फ़रियाद आ जाती है
ऐ चाँद,
सामने न आ
किसी की
याद आ जाती है…!!
कुछ बातें कह दी जायें तो मुनासिब हैं……
कि प्यार हो या नफरत ज़ाहिर हो जाये तो अच्छा है ..
जानते थे मरने तक सताओगे, लेकिन मार के भी सताओगे…
ऐसा तो कभी सोचा भी न था|
ज़ुल्फ़ के साए में एक झुमका छुपा है,
उसकी तस्वीर में रात और चाँद दोनों क़ैद हैं|
जब शहर के लोग न रास्ता दे क्यों वन में ना मैं जा कर ठहरु…
दीवानो की सी न बात करे तो और करे दीवाना क्या…
उस हुस्न के सच्चे मोती को हम देख सके पर छु न सकें…
जिसे देख सके पर छु न सके वह दौलत क्या वह खज़ाना क्या…