जा रही हूँ

जा रही हूँ मैं तेरी जिन्दगी से कभी ना फिर लौट के आने को ,
रोक लो अपने एहसासों को जो लिपट रहे मेरे कदमों से संग आने को !

हर इक चेहरा

सहमा सहमा हर इक चेहरा,
मंज़र मंज़र खून में तर..
शहर से जंगल ही अच्छा है,
चल चिड़िया तू अपने घर.!

दिल की गली से

दिल की गली से तो गुजरे न जाने शक्स कितने पर ,
कोई एक पल कोई दो पल कोई रुका ना उम्र भर के लिए !

ले चल कही दूर

ले चल कही दूर मुझे तेरे सिवा जहाँ कोई ना हो.. बाँहो मे सुला लेना मुझको फिर कोई सवेरा ना हो.

कभी इश्क़ करो

कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से..
कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता…