दिल को शोलों से करती है सैराब।।
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दिल को शोलों से करती है सैराब।।
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी।।
आया न एक बार भी अयादत को वह मसीह, सौ बार मैं फरेब से बीमार हो चुका।
उस एक शब के सहारे कट रही है हयात, वो एक शब जो तेरी महफिल में गुजार आये।
मिले थे एक अजनबी बनकर….
आज मेरे दिल की जरूरत हो तुम|
आज शाम महफिल सजी थी बददुआ देने की….
मेरी बारी आयी तो मैने भी कह दिया…
“उसे भी इश्क हो” “उसे भी इश्क हो”
तेरी ख़ुशी की खातिर मैंने कितने ग़म छिपाए…..,
अगर….,,
.
मैं हर बार रोता तो सारा शहर डूब जाता….
नाराजगी गैरों से की जाती है अपनों से नहीं,
तू तो गैर था हम तो अपने दिल से नाराज़ हैं.!!
कुछ साँपों का काटा नहीं मांगता पानी
रिश्तों को पहनना ज़रा अस्तीन झटककर …..
वक़्त ही कुछ ऐसा आ ठहरा है अब…
यादें ही नहीं होतीं याद करने के लिए…
हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था..
जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…