हद पार करने की भी…
एक हद होती है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हद पार करने की भी…
एक हद होती है|
मेरी ख़ामोशी की ख्वाहिश भी तुम,
मेरी मोहब्बत की रंजिश भी तुम….
जिश हो दिल में तो…
खुल के गिला करो….
जो बेसब्र ना हो,
तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..
ख़ामोशियाँ जब चीखने लगें..
तो समझो ज़िंदगी रक़ीब हो चली है ख़ुद की|
सच को तमीज़ नहीं बात करने की..
जुठ को देखो कितना मीठा बोलता है ।
एक दिल धड़कता है
तो दुजा समझता है..
मुझे लहज़े खफ़ा करते हैं तुम्हारे,
लफ़्जों के तो ख़ैर आदी है हम|
नज़दीकियाँ अब अख़रने लगी थी उन्हें…
कुछ यूँ भी मैंने फ़ासलों से दोस्ती कर ली|
आप चाहो मेरे हाथों की तलाशी ले लो,
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं !